हरिवंशराय बच्चन
$$ हरिवंश राय बच्चन $$
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®
जन्म
- 27 नवम्बर 1907
इलाहाबाद, आगरा, ब्रितानी भारत
(अब उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु -18 जनवरी 2003 (उम्र 95)
मुम्बई, महाराष्ट्र,
अभिभावक - प्रताप नारायण श्रीवास्तव, सरस्वती देवी
पति/पत्नी - श्यामा बच्चन, तेजी सूरी
संतान- अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन
उपजीविका- कवि, लेखक, प्राध्यापक
भाषा- अवधी, हिन्दी
काल- आधुनिक काल ,छायावादी युग (व्यक्ति चेतना प्रधान काव्यधारा या हालावाद )
- हालावाद के प्रवर्तक
#रचनाएं:-
#कविता संग्रह :-
. तेरा हार (1929),(प्रथम)
. मधुशाला (1935),
. मधुबाला (1936),
. मधुकलश (1937),
. निशा निमंत्रण (1938),
. एकांत संगीत (1939),
. आकुल अंतर (1943),
. सतरंगिनी (1945),
. हलाहल (1946),
. बंगाल का अकाल (1946),
. खादी के फूल (1948),
. सूत की माला (1948),
. मिलन यामिनी (1950),
.प्रणय पत्रिका (1955),
.धार के इधर उधर (1957),
.आरती और अंगारे (1958),
.बुद्ध और नाचघर (1958),
.त्रिभंगिमा (1961),
.चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
.दो चट्टानें (1965),
.बहुत दिन बीते (1967),
.कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
.उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
.जाल समेटा (1973)
#आत्मकथा:-
. क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
. नीड़ का निर्माण फिर (1970),
. बसेरे से दूर (1977),
. दशद्वार से सोपान तक (1985)
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
# विविध रचनाएं:-
.बचपन के साथ क्षण भर (1934),
खय्याम की मधुशाला (1938),(अग्रजी के प्रसिद्ध कवि ' फिट्जेराल्ड' कृत अंग्रेजी अनुवाद के आधार पर अनुवाद किया है)
.सोपान (1953),
.मैकबेथ (1957),
.जनगीता (1958),
.ओथेलो (1959),
.उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
.कवियों के सौम्य संत: पंत (1960),
.आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),
.आधुनिक कवि (1961),
.नेहरू: राजनैतिक जीवनचित्र (1961),
.नये पुराने झरोखे (1962),
.अभिनव सोपान (1964)
.चौसठ रूसी कविताएँ (1964)
.नागर गीत (1966),
.बचपन के लोकप्रिय गीत (1967)
.डब्लू बी यीट्स एंड औकल्टिज़्म (1968)
.मरकट द्वीप का स्वर (1968)
.हैमलेट (1969)
.भाषा अपनी भाव पराये (1970)
.पंत के सौ पत्र (1970)
.प्रवास की डायरी (1971)
.किंग लियर (1972)
.टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)
.मेरी कविताई की आधी सदी (1981)
.सोहं हंस (1981)
.आठवें दशक की प्रतिनिधी श्रेष्ठ कवितायें (1982)
.मेरी श्रेष्ठ कविताएँ (1984)
.आ रही रवी की सवारी
. बच्चन रचनावली के नौ खण्ड (1983),
#पुरस्कार/सम्मान :-
-इनकी कृति 'दो चट्टाने' को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था।
-इन्हे 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
-बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान दिया था।
- बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
#विशेष तथ्य:-
- यह मूलतः आत्मानुभूति के कवि माने जाते हैं|
- इनको 'क्षयी रोमांस का कवि' भी कहा जाता है|
- इनको 1966 ई. में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया था|
- सन 1932 ई. में इन्होंने अपना प्रारंभिक साहित्यिक जीवन 'पायोनियर' के संवाददाता के रूप में प्रारंभ किया था|
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
#पंक्तिया:-
-"जो बसे हैं, वे उजड़ते हैं, प्रकृति के जड़ नियम से, पर किसी उजड़े हुए को फिर से बसाना कब मना है?"
- "है चिता की राख कर में, माँगती सिन्दूर दुनियाँ"- व्यक्तिगत दुनिया का इतना सफल, सहज साधारणीकरण दुर्लभ है।"
- "मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।।१।"
-" मौन रात इस भांति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सोई खोई-सी, सपनों में तारों पर सिर धर
और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,"
- "हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंज़िल भी तो है दूर नहीं -
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!"
- "इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बँधाए,
कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,"
नोट:- संकलन में कोई त्रुटि हो तो जरूर बताएं|
- मेरा संकलन आपको कैसा लगा अपनी राय जरुर दें|
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
mob.(whatsApp)no.-9660609226
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®
जन्म
- 27 नवम्बर 1907
इलाहाबाद, आगरा, ब्रितानी भारत
(अब उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु -18 जनवरी 2003 (उम्र 95)
मुम्बई, महाराष्ट्र,
अभिभावक - प्रताप नारायण श्रीवास्तव, सरस्वती देवी
पति/पत्नी - श्यामा बच्चन, तेजी सूरी
संतान- अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन
उपजीविका- कवि, लेखक, प्राध्यापक
भाषा- अवधी, हिन्दी
काल- आधुनिक काल ,छायावादी युग (व्यक्ति चेतना प्रधान काव्यधारा या हालावाद )
- हालावाद के प्रवर्तक
#रचनाएं:-
#कविता संग्रह :-
. तेरा हार (1929),(प्रथम)
. मधुशाला (1935),
. मधुबाला (1936),
. मधुकलश (1937),
. निशा निमंत्रण (1938),
. एकांत संगीत (1939),
. आकुल अंतर (1943),
. सतरंगिनी (1945),
. हलाहल (1946),
. बंगाल का अकाल (1946),
. खादी के फूल (1948),
. सूत की माला (1948),
. मिलन यामिनी (1950),
.प्रणय पत्रिका (1955),
.धार के इधर उधर (1957),
.आरती और अंगारे (1958),
.बुद्ध और नाचघर (1958),
.त्रिभंगिमा (1961),
.चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
.दो चट्टानें (1965),
.बहुत दिन बीते (1967),
.कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
.उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
.जाल समेटा (1973)
#आत्मकथा:-
. क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
. नीड़ का निर्माण फिर (1970),
. बसेरे से दूर (1977),
. दशद्वार से सोपान तक (1985)
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
# विविध रचनाएं:-
.बचपन के साथ क्षण भर (1934),
खय्याम की मधुशाला (1938),(अग्रजी के प्रसिद्ध कवि ' फिट्जेराल्ड' कृत अंग्रेजी अनुवाद के आधार पर अनुवाद किया है)
.सोपान (1953),
.मैकबेथ (1957),
.जनगीता (1958),
.ओथेलो (1959),
.उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
.कवियों के सौम्य संत: पंत (1960),
.आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),
.आधुनिक कवि (1961),
.नेहरू: राजनैतिक जीवनचित्र (1961),
.नये पुराने झरोखे (1962),
.अभिनव सोपान (1964)
.चौसठ रूसी कविताएँ (1964)
.नागर गीत (1966),
.बचपन के लोकप्रिय गीत (1967)
.डब्लू बी यीट्स एंड औकल्टिज़्म (1968)
.मरकट द्वीप का स्वर (1968)
.हैमलेट (1969)
.भाषा अपनी भाव पराये (1970)
.पंत के सौ पत्र (1970)
.प्रवास की डायरी (1971)
.किंग लियर (1972)
.टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)
.मेरी कविताई की आधी सदी (1981)
.सोहं हंस (1981)
.आठवें दशक की प्रतिनिधी श्रेष्ठ कवितायें (1982)
.मेरी श्रेष्ठ कविताएँ (1984)
.आ रही रवी की सवारी
. बच्चन रचनावली के नौ खण्ड (1983),
#पुरस्कार/सम्मान :-
-इनकी कृति 'दो चट्टाने' को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था।
-इन्हे 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
-बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान दिया था।
- बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
#विशेष तथ्य:-
- यह मूलतः आत्मानुभूति के कवि माने जाते हैं|
- इनको 'क्षयी रोमांस का कवि' भी कहा जाता है|
- इनको 1966 ई. में राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया था|
- सन 1932 ई. में इन्होंने अपना प्रारंभिक साहित्यिक जीवन 'पायोनियर' के संवाददाता के रूप में प्रारंभ किया था|
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
#पंक्तिया:-
-"जो बसे हैं, वे उजड़ते हैं, प्रकृति के जड़ नियम से, पर किसी उजड़े हुए को फिर से बसाना कब मना है?"
- "है चिता की राख कर में, माँगती सिन्दूर दुनियाँ"- व्यक्तिगत दुनिया का इतना सफल, सहज साधारणीकरण दुर्लभ है।"
- "मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।।१।"
-" मौन रात इस भांति कि जैसे, कोई गत वीणा पर बज कर,
अभी-अभी सोई खोई-सी, सपनों में तारों पर सिर धर
और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ, जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,"
- "हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंज़िल भी तो है दूर नहीं -
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!"
- "इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बँधाए,
कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,"
नोट:- संकलन में कोई त्रुटि हो तो जरूर बताएं|
- मेरा संकलन आपको कैसा लगा अपनी राय जरुर दें|
®®® संकलनकर्ता- रविन्द्र पुनिया ®®®
mob.(whatsApp)no.-9660609226
Good work
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